आयुर्वेद में अवसाद को मानसिक रोग की श्रेणी में रखा जाता है अधिक तनाव लंबा रोग कमजोरी बहुत अधिक दवाओं का सेवन वात दोष कोई दुर्घटना किसी प्रियजन को खो देना कोई आर्थिक समस्या या कोई बड़ा संघर्ष जिसने व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रभावित किया हो तो अवसाद की स्थिति पैदा हो जाती है
अवसाद की स्थिति में सभी चीजें बेकार लगती हैं यह बीमारी आधुनिक बीमारी है यह पिछले 50 सालों में आई है इसका कारण है जीवन शैली में जलवायु तासीर और परंपराओं के प्रतिकूल बदलाव
पहले के समय में संयुक्त परिवार की स्थिति में तनाव बैठ जाता था लेकिन आजकल एकल परिवार हो गए हैं जिससे तनाव बढ़ नहीं पाता और व्यक्ति अवसाद की स्थिति में पहुंच जाता है
इस बीमारी में व्यक्ति के अंदर अनेक प्रकार के मनोविकार चल चलते हैं वह हमेशा स्थिर रहता है उसके मन में हमेशा द्वंद चलता रहता है कोई भी निर्णय लेने में सक्षम नहीं होता ऐसा व्यक्ति किसी भी कार्य में एकाग्र नहीं हो पाता है यदि यह थोड़ी मात्रा में है तो चिंता की बात नहीं होती लेकिन यदि यह मानसिक शारीरिक सामाजिक जीवन का हिस्सा बन जाए तो खतरनाक साबित होता है

अवसाद क्यों होता है
1. हारमोंस में आए बदलाव के कारण जैसे रजोनिवृत्ति प्रसव थायराइड आदि
2. कोई आर्थिक समस्या किसी प्रियजन को खो देना कोई दुर्घटना या कोई बड़ा संघर्ष जिसने व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रभावित किया हो
3. कभी-कभी मौसम परिवर्तन से भी अवसाद की स्थिति देखी गई है
4. हमारे दिमाग में कुछ हारमोंस रिलीज होते हैं वह है सेरोटोनिन, डोपामाइन, नोरेपाइनफिरिन अवसाद की स्थिति में यह हारमोंस असंतुलित हो जाते हैं और अवसाद की स्थिति आ जाती है
5. कई बार यह आनुवंशिक भी देखे गए हैं लेकिन यह बहुत कम होता है

अवसाद के दुष्प्रभाव क्या हैं
डब्ल्यूएचओ के अनुसार अवसाद पूरी दुनिया में होने वाली एक सामान्य बीमारी है 380 मिलियन लोग अवसाद से प्रभावित है अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति धीरे-धीरे समाज से कट जाता है वह उदास रहने लगता है उसे अकेले रहने का मन करता है अनेक बीमारियों से घेर लेती हैं
शरीर में बहुत ज्यादा हार्मोन नल असंतुलन हो जाता है पाचन तंत्र खराब रहने लगता है कब्ज की समस्या हो जाती है और साथ ही वजन बढ़ने लगता है
यदि अवसाद गंभीर रूप ले लेता है तो व्यक्ति को साइकोटिक डिप्रेशन हो जाता है जो कि अवसाद की गंभीर अवस्था में आता है इस बीमारी में व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे वह अपने विचारों को सुन पा रहा है वह हमेशा अपने बारे में नकारात्मक विचार सुनता है ऐसा व्यक्ति आसान चीजों को भी बहुत वक्त लगाकर करता है ऐसे डिप्रेशन नहीं व्यक्ति आत्महत्या की सोचने लगता है

अवसाद के शुरुआती लक्षण क्या है
जो व्यक्ति अवसाद की स्थिति में आता है तो उसके आत्मविश्वास में कमी आने लगती है ऐसा व्यक्ति अपने आपको हारा हुआ महसूस करता है तथा हमेशा उदास रहता है ऐसे व्यक्ति का ध्यान एक जगह नहीं लगता
अवसाद की स्थिति में व्यक्ति अपने आपको खुशी के वातावरण से दूर रखता है उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है और हमेशा चिंता में डूबा रहता है तथा कम बोलता है ऐसे व्यक्ति को हर वक्त गलत होने की आशंका होती है
अवसाद कितने दिन में ठीक होता है
अवसाद होने पर को ठीक होने में 1 महीने से लेकर साल भर पर लग जाता है लेकिन आयुर्वेद का इलाज लेने पर यह प्रभाव टिकाऊ होता है
अतः जब भी अवसाद हो एलोपैथी दवाओं की वजह आयुर्वेद की तरफ जाना चाहिए जिससे व्यक्ति बिना साइड इफेक्ट के और पूर्ण रूप से ठीक हो सकता है

अवसाद की स्थिति में क्या उपचार ले
वैसे देखा जाए तो अवसाद की कोई दवा नहीं होती है लेकिन फिर भी आयुर्वेद में कहा जाता है कि इसके लिए योग प्राणायाम ध्यान यह सब करें
औषधियां ब्रह्मी ,मंडूक पुष्पी, स्वर्ण भस्म आदि से मस्तिष्क को बल मिलता है और मन को शांति
गाय के घी का अधिक से अधिक उपयोग करें रात को दूध में डालकर पिए गाय के घी को दाल सब्जी में डालकर खाएं गाय के घी को पानी में डालकर पीना चाहिए। लेकिन इसको रोटी पर लगाकर ना खाएं
सोते समय गाय के घी को नाक में डालकर सोये यह अवसाद को दूर करता है और व्यक्ति बहुत जल्दी सामान्य स्थिति में आ जाता है

अवसाद की स्थिति में क्या खाना चाहिए
अवसाद के हारमोंस मस्तिष्क से प्रेरित होते हैं गाय का घी मस्तिष्क के हर उस हिस्से में पहुंच जा सकता है जहां दवा नहीं पहुंच सकती है जब यह हारमोंस बढ़ते हैं तो कैल्शियम की बहुत कमी होती है दूसरा आयरन और सोडियम भी बहुत तेजी से कम होते हैं
अनार का रस आयरन की कमी पूरी करेगा अमरूद और जामुन खूब खाएं यह फास्फोरस की कमी को पूरा करता है हरे पत्तियों की सारी सब्जियां खाएं पीले केले में कैल्शियम ज्यादा और आयरन कम है हरे केले में कैल्शियम थोड़ा कम है लेकिन फास्फोरस ज्यादा है अतः खूब केला खाएं सभी हरी सब्जियों में भरपूर फास्फोरस होता है और जब हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है तो कैल्शियम की मात्रा अधिक हो जाती है
पानी खूब पिए पानी आपके दिमाग को तरोताजा रखेगा टमाटर खाएं इसमें लाइकोपीन होता है जो एंटीऑक्सीडेंट होता है जो अवसाद से लड़ने की क्षमता रखता है

अवसाद से निकलने के लिए व्यक्ति को क्या करना चाहिए
1. ध्यान तथा प्राणायाम करना चाहिए यह दिमाग को शांत करते हैं रक्त का संचार करते हैं सुखासन और बालासन जरूर करें यह तनाव को कम करते हैं
2. जितना हो सके प्रकृति के करीब रहे हैं जैसे पेड़ पौधे लगाना मिट्टी में काम करना पौधों को पानी देना आदि करें क्योंकि प्रकृति में सहनशीलता होती है जो कि आपके अंदर भी प्रवेश करेगी जिससे नकारात्मक विचार दूर होंगे दिमाग शांत रहेगा
3. संगीत सुनें संगीत दिमाग को शांत करता है और हम सकारात्मक सोचते हैं
4. यह देखा गया है कि जो व्यक्ति पालतू जानवरों को पालते हैं वह मानसिक स्तर पर ज्यादा मजबूत देखे गए हैं और अधिक खुश देखे गए हैं अतः आप अवसाद को दूर करने के लिए पालतू जानवर भी पाल सकते हैं
5. अवसाद जिस व्यक्ति को होता है उसको सूरज की रोशनी में कुछ समय जरूर बिताना चाहिए इससे दिमाग पर बहुत सकारात्मक असर पड़ता है
6. सुबह शाम की सैर जरूर करनी चाहिए यह अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें
7. कभी भी खाली ना रहें किसी ना किसी काम में जरूर व्यस्त रहें जिससे नेगेटिव विचार नहीं आएंगे
8. अच्छी किताबें पढ़ें
9. जो भी आपके शौक हैं वह आप करें इससे आप शांत रहेंगे और अवसाद से निकलने में आसानी होगी

अवसाद की स्थिति में दवा के अलावा उपचार क्या है
०अवसाद की स्थिति में जब व्यक्ति होता है तो उस व्यक्ति को उसकी क्षमताओं व शक्ति का बोध करवाना चाहिए
०वह जो देश में समझ रहा है वह सच में है या नहीं इसका बोध करवाना चाहिए
० उस व्यक्ति की स्मृति मजबूत बनानी चाहिए जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़े
० ऐसे व्यक्ति को हल्का सुपाच्य भोजन करना चाहिए खट्टी चीजों से परहेज करना चाहिए तथा मांसाहार बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए उड़द चने इन से दूर रहना चाहिए
० ब्राह्मी तेल ,लाच्छादीतेल, चंदन बलातेल, ,अश्वगंधा इनसे मसाज करवानी चाहिए

क्या अवसाद में पंचकर्म करवाना चाहिए
जो व्यक्ति अवसाद की स्थिति में है उसको पंचकर्म करवाना चाहिए यह ऐसा उपचार है जिससे अवसाद पर काबू पाया जा सकता है पंचकर्म से व्यक्ति को दिमाग की शांति मिलती है और स्मृति तेज होती है
शिरोधारा, शिरोबस्ती, शिरो अभ्यंग और नस्य जैसे पंच कर्म अवसाद से मुक्ति दिलाते हैं लेकिन यह सब किसी प्रशिक्षित विशेषज्ञ के परामर्श से ही करना चाहिए
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क्या अवसाद की स्थिति को रोका जा सकता है?
स्वयं के प्रयासों से कोई भी व्यक्ति अवसाद की स्थिति को रोक सकता है अपने अंदर आत्मविश्वास को जगा कर तथा अपने आप को व्यस्त करके, नकारात्मक विचारों से दूर रहकर वह अवसाद की स्थिति को रोक सकता है प्रतिदिन व्यक्ति ध्यान का अभ्यास करें तो वह अवसाद की स्थिति में कभी भी नहीं पहुंच पाएगा