क्या है योग
योग का अर्थ है बांधना अर्थ एकता योग के द्वारा शरीर मन और भावनाओं को संतुलित किया जाता है इन सब में तालमेल बैठाया जाता है
क्या है योग के लाभ
योग हमें प्राणायाम ध्यान तथा बैठने के तरीके को संयुक्त रूप से सिखाता है जो भी व्यक्ति योग के अभ्यास को नियमित करता है तो उसको बहुत ज्यादा लाभ होता है जिसकी गिनती भी नहीं की जा सकती योग हमारे शरीर को स्वस्थ करता है मानसिक तौर पर मजबूत बनाता है शारीरिक शक्ति देता है

योग के कितने अंग है
योग के तीन अंग प्रचलन में है
1. आसन
2. प्राणायाम
3. ध्यान
आसन
योग में 8400000 आसन होते हैं इन सभी आसनों के बारे में पूरा किसी को भी नहीं पता है लेकिन 84 आसन हम इस्तेमाल करते हैं जो कि प्रमुख है लेकिन वर्तमान युग में 32 आसनों को ही प्रमुख माना जाता है
योग में आसन का अर्थ है बिना कष्ट के एक ही स्थिति में अधिक समय तक बैठने की क्षमता
इन सभी आसनों का नाम जीव-जंतुओं पर है योग के इस अंग यानी के आसनों के अभ्यास से शारीरिक मानसिक व आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहा जा सकता है
योग के इस अंग (आसन) का अभ्यास रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है
योग के कुछ प्रमुख आसन तथा उनका लाभ
योग का अर्थ है जीवात्मा का परमात्मा से मिल जाना अर्थात एक हो जाना ही योग है जो भी प्राचीन सूत्र हैं उनके अनुसार चित् को एक जगह स्थापित करना योग है
स्वस्तिकासन
इस आसन में किसी मोटे कपड़े या कंबल पर आप ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं आप की रीड की हड्डी सीधी होनी चाहिए तथा स्वास को खींचकर यथाशक्ति अंदर रोके जितने समय आप रोक सकते हैं इसी प्रक्रिया को पैर बदलकर करें जो पैर ऊपर हो उसको नीचे कर ले
इस आसन के लाभ
० पसीना आना दूर हो जाता है
० पैरों का दर्द खत्म हो जाता है
० पैरों का गर्म या ठंडा होने की समस्या दूर हो जाती है ० यह आसन ध्यान में उपयोगी है
गोमुखासन
इस आसन में आप बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितंब के पास रखें तथा दाएं पैर को बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें कि दोनों घुटने एक दूसरे के ऊपर हो जाएं
अब जिस और का पैर ऊपर है उसी और का हाथ ऊपर उठाकर पीठ की ओर मोड़ें व दूसरे अर्थात बाएं हाथ को पीठ के पीछे नीचे से लाकर दाएं हाथ को पकड़े आप अपनी गर्दन व कमर सीधी रखें 1 मिनट आप इसी अवस्था में रहें उसके पश्चात दूसरी ओर इसी प्रकार से करें योग का यह आसन बहुत ही लाभदायक है

इस आसन के लाभ
० यकृत, गुर्दे, वक्षस्थल बलिष्ठ होते हैं
० गठिया रोग दूर होता है
० धातु रोग, बहुमूत्र, स्त्री रोगों में लाभ प्रद
० अंडकोष वृद्धि व आत्र वृद्धि में लाभ
गोरक्षासन
इस आसन में दोनों पैरों की एड़ियों व पंजों को मिलाकर सामने रखिए एडीओ को गुदा व मूत्र इंद्रिय के मध्य रखते हुए उस पर बैठ जाएं दोनों घुटने भूमि पर टिकाए दोनों हाथों को घुटनों पर रखें जितना समय बिना कष्ट आप बैठ सकते हैं बैठे रहिए
इस आसन के लाभ
० इंद्रियों की चंचलता समाप्त होती है वह मन शांत होता है
० ब्रह्मचर्य कायम रखने के लिए यह आसन सहायक
० मांसपेशियों में रक्त संचार ठीक से होता है

अर्धमत्स्येंद्रासन
इस आसन में बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को नितंब के पास लगाएं दाएं पैर को बाएं पैर के घुटने के पास बाहर की और भूमि पर रखें अब बाएं हाथ को दाएं घुटने के पास बाहर की ओर सीधा रखते हुए दाएं पैर के पंजे को पकड़े
अब दाएं हाथ को पीठ के पीछे की ओर घुमा कर बाएं पैर की जान को पकड़े पीछे की ओर देखें
इसी प्रकार दूसरी ओर करें योग में यह आसन आपके लिए लाभप्रद है
इस आसन के लाभ
० मेरुदंड के आस पास जितनी भी नाडियां है उनका रक्त संचार ठीक हो जाता है
० मधुमेह है वह कमर दर्द में आराम होता है
० आंखों को बल मिलता है
योग मुद्रासन
सुखासन में इस प्रकार बैठे कि दोनों पैरों की एड़ियां नाभि के नीचे आपस में एक दूसरे से मिल जाए अब दोनों हाथों को पीछे लेकर जाएं व बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ से पकड़े फिर श्वास छोड़ते हुए झुके वह नाक को जमीन से लगाने का प्रयास करें फिर हाथ बदलकर यह क्रिया दोहराये है फिर पुनः पैर बदलकर यह क्रिया करें
इस आसन के लाभ
० चेहरा सुंदर हो जाता है
० मन शांत हो जाता है
० मन एकाग्र हो जाता है
शंखासन/उदाराकर्षण
हाथों को घुटनों पर रखते हुए पंजों के बल बैठ जाइए पैरों में सवा 1 फुट का अंतर होना चाहिए अब श्वास अंदर भरते हुए बाएं घुटने को दाईं तरफ झुकाइए दाएं घुटने को बाएं पैर के पंजे के पास टिकाइऐ
तथा बाईं तरफ पीछे की ओर देखिए
फिर थोड़े समय रुके फिर स्वास छोड़ते हुए दूसरी तरफ से यह प्रक्रिया करें
आसन के लाभ
०जितने भी उदर रोग हैं उनको यह योग निश्चित रूप से दूर करता है
०कब्ज खत्म होती
०गैस खत्म होती है
०खट्टी डकारो में आराम मिलता है
०बवासीर दूर करता है
०हृदय, गुर्दे ,अग्नाशय, तिल्ली सभी ठीक होते हैं
सर्वांगासन
इस आसन में बाहों और कहानियों की सहायता से शरीर के निचले भाग को इतना ऊपर ले जाएं कि वह कंधों पर सीधा खड़ा हो जाए
हाथों के सहारे से पीठ दबाएं कंठ से छुट्टी लगाएं फिर धीरे-धीरे पहले पीठ जमीन पर लगाएं फिर पैरों को धीरे-धीरे सीधा करें और जमीन पर लाएं
आसन के लाभ
० मोटापा खत्म होता है
० दुर्बलता खत्म होती है
० इस योग से कद वृद्धि होती है थकान कम होती है
० एड्रिनल शुक्र ग्रंथि तथा डिंब ग्रंथि को बलिष्ट बनाता है
प्राणायाम
प्राणायाम का अर्थ है कि एक ऐसी क्रिया जिसके द्वारा प्राण का प्रसार व विस्तार किया जाता है
तथा प्राण को नियंत्रण में रखा जाता है योग में आसन के साथ प्राणायाम भी बहुत लाभप्रद है इससे जीवन को नियंत्रण में रखा जाता है तीन प्राणायाम ऐसे हैं जो बहुत ही उपयोगी हैं
अनुलोम विलोम प्राणायाम
जो आपको कष्ट ना दें ऐसे आसन में बैठ जाइए बाई नाक से श्वास धीरे-धीरे भीतर ले व दाई नाक को उंगली से दबा ले तथा कुछ समय पश्चात दाएं नाक से धीरे-धीरे बाहर छोड़ दें
पुनः दाई नाक से सांस लें वह बाई से छोड़ दें यह क्रिया जल्दबाजी में ना करें बहुत ही धीरे-धीरे आराम से करें यह एक चक्र कहलाता है इस प्रकार आप जितनी देर चाहे उतनी देर करें
इस योग के लाभ
० रक्त शुद्ध होता है
० शरीर तेजस्वी व फुर्तीला बनता है
० संपूर्ण नसे शुद्ध हो जाती हैं
कपालभाति प्राणायाम
इसका अर्थ है मस्तिष्क की आभा को बढ़ाना
इस क्रिया में श्वास लेने की क्रिया पर जोर नहीं दिया जाता बल्कि श्वास छोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है
जब श्वास तेज गति से बाहर छोड़ी जाती है तो पेट अंदर आना चाहिए इस क्रिया में सांसों के साथ पेट को फुलाने व पिचकाने पर जोर दिया जाता है इस प्राणायाम को अधिक से अधिक किया जाना चाहिए पेट के अधिकतर रोग से समाप्त होते हैं योग की यह क्रिया शरीर के लिए बहुत ही चमत्कारी है
इस आसन के लाभ
० ह्रदय फेफड़े मस्तिष्क से संबंधित बीमारी खत्म हो जाती है
० कफ दमा स्वास रोग में लाभ
० मोटापा दूर होता है
० मधुमेह दूर होता है
० कब्ज दूर होती है
० अम्ल पित्त की समस्या दूर होती है
० मुख मंडल ओज बढ़ता है
भ्रामरी प्राणायाम
सुखासन में बैठ जाएं रीढ को सीधा रखें वह तर्जनी कान के अंदर डालें नाक से सांस छोड़ते हुए ओम का उच्चारण करने के पश्चात कंठ से मधुर भोरे की आवाज के समान गुंजन करें
जब पूरा श्वास बाहर आ जाएगा तो गुंजन बंद हो जाएगा इस क्रिया को 3 से 5 बार करें
इस आसन के लाभ
० यह योग वाणी मधुर होती है
० ह्रदय रोग ठीक होता है
० मन की चंचलता दूर होती है
० पेट के विकार खत्म होते हैं
० उच्च रक्तचाप खत्म होता है
ध्यान
ध्यान का अर्थ है किसी भी एक विषय को मन में धारण करके उससे मन को एकाग्र बनाना ध्यान से मन पर काबू पाया जाता है और मन को एकाग्र किया जाता है ध्यान कई प्रकार से किया जाता है
देखकर ध्यान करते हैं तो साक्षी ध्यान कहलाता है सुनकर जो ध्यान किया जाता है उसे श्रवण ध्यान कहा जाता है सांसो पर ध्यान देकर जो ध्यान किया जाता है उसको प्राणायाम ध्यान कहते हैं
आंख बंद करके जो ध्यान किया जाता है उसको भृकुटी ध्यान कहते हैं
सीधे-साधे शब्दों में कहा जाए तो ध्यान एक विश्राम पाने की प्रक्रिया है
ध्यान से शरीर की प्रत्येक कोशिका प्राण तत्व से भर जाती है और जब प्राण तत्व बढ़ जाता है तो हम प्रसन्न चित्त रहते हैं
और हमारे शरीर में शांति और उत्साह का संचार भी बढ़ जाता है योग करने वालों के लिए ध्यान बहुत ही महत्वपूर्ण है स्थिर होने का एक उपाय है
इस आसन के लाभ
० उच्च रक्तचाप कम होना
० तनाव से संबंधित जितने भी दर्द शरीर में होते हैं वह कम होते हैं जैसे सिर दर्द अनिद्रा मांसपेशियों का दर्द जोड़ों का दर्द आदि
० ध्यान से सैरोटीन हार्मोन का उत्पादन होता है जिससे हमारी भाव दशा वह व्यवहार बेहतर बनता है
० प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत बनता है
० ऊर्जा स्तर में वृद्धि होती है
० व्यग्रता कम करता है
० कुशाग्र बुद्धि हो जाती है
० क्रोध निराशा तनाव खत्म हो जाते हैं
० आत्मविश्वास में वृद्धि होती है अधिक गतिशीलता हो जाती है
० मानसिक शांति व स्पष्टता आती है
ध्यान से मानसिक रूप से स्वस्थ
ध्यान मस्तिष्क की तरंगों को अल्फा स्तर पर ले जाता है जिससे मस्तिष्क पहले से अधिक सुंदर नवीन और कोमल हो जाता है ध्यान मस्तिष्क को पोषण देता है
अतः योग का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है हमें हमेशा आसन ,प्राणायाम, ध्यान को अपने जीवन में जरूर लाना चाहिए योग की वजह से हमारा जीवन संयमित बना रहेगा
Q.1 योग क्या है
योग के द्वारा शरीर मन और भावनाओं को संतुलित किया जाता है इन सब में तालमेल बैठाया जाता है अतः हमें आसन प्राणायाम और ध्यान को अपने जीवन में जरूर लाना चाहिए योग की वजह से हमारा जीवन संयमित बना होता है
Q.2 ध्यान से क्या लाभ होते हैं
ध्यान शरीर में प्राण ऊर्जा को बढ़ाता है शांति और उत्साह का संचार भी बढ़ाता है ध्यान मस्तिष्क को पोषण देता है ध्यान बहुत ही महत्वपूर्ण है यह तिल होने का एक उपाय है जोकि जरूर करना चाहिए