पूर्णिमा के रहस्य को जानकर आप अपने भविष्य को सुंदर बना सकते हैं
पूर्णिमा, प्रकाश और अंधकार दोनों का प्रतिनिधित्व करता है ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा के चरण अमावस्या से शुरू होते हैं तथा पूर्णिमा के साथ समाप्त हो जाते हैं पूर्णिमा आपके स्थान शरीर और मन को शुद्ध करने का सही समय है पूर्णिमा का प्रकाश हमारे मन को साफ करने में मदद करता है हमें जो कुछ भी चाहिए हम इस समय पा सकते हैं।
पूर्णिमा का प्रकाश क्यों विशेष है?
पूर्णिमा के प्रकाश में ऐसी ऊर्जा होती है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते यदि इस ऊर्जा को ग्रहण करने की शक्ति हम अपने आप में उत्पन्न कर ले तो इसके परिणाम बहुत ही सुखद होते हैं जो व्यक्ति ध्यान का अभ्यास करते हैं वे लोग इस दौरान इस ऊर्जा को बहुत गहनता के साथ समझ व महसूस भी कर सकते हैं आप इस ऊर्जा का अनुभव निरपेक्ष पाएंगे यह बहुत ही अद्भुत है जब इस ऊर्जा को हम पा लेते हैं तो इसमें से कुछ ऊर्जा को रिलीज भी किया जाता है इस ऊर्जा में से कुछ ऊर्जा बाहर भी निकाल दी जाती है।
इस ऊर्जा से संबंधित आप डू टू लिस्ट बनाएं और अपनी प्रगति की जांच करें आप हैरान कर देने वाले नतीजे पाएंगे।

पूर्णिमा के दिन किसकी पूजा करते हैं?
इस के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है तथा साथ में माता लक्ष्मी को पूजा जाता है इस दिन उपवास रखकर रात को मां लक्ष्मी के लिए जागरण किया जाता है तथा चंद्र दर्शन करके प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
कोई नया काम शुरू करने में जल्दबाजी ना दिखाएं
आप इस दिन को अद्भुत ऊर्जा के रूप में महसूस करेंगे आप कुछ नया शुरू करने के लिए सोचेंगे आपका दिल करेगा कि आप कुछ नया करें लेकिन आप कुछ भी नया ना करें किसी भी चीज की नई शुरुआत ना करें कोई भी बड़ा फैसला आप ना लें आपका मन कहे तो भी आप उसका विरोध करें यह सब काम आप अमावस्या पर कर सकते हैं।
अमावस्या पर आगे बढ़ने के बीच बोए जाते हैं या फिर कुछ नया करने के बीज बोए जाते हैं आप उन बीजों का आनंद लेने में ध्यान दें आप नए काम के लिए दो हफ्तों का गैप दें जब दोबारा अमावस्या आए तब कोई अन्य फैसला लें इससे क्या होगा कि आपको अपना उठाया हुआ कदम अधिक स्पष्ट तौर पर समझ आएगा कहने का मतलब है कि आपको कभी भी कोई भी कार्य पूर्णिमा से शुरू नहीं करना है।
पूर्णिमा और अमावस्या क्यों महत्व रखती हैं?
बर्ष में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती है सभी का अलग-अलग महत्व होता है पूर्णिमा और अमावस्या के प्रति लोगों के मन में डर होता है तथा जानने की जिज्ञासा भी बनी रहती है शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं तथा कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या कहते हैं शुक्ल पक्ष में देव आत्माएं सक्रिय होती हैं तथा कृष्ण पक्ष में देत्य और पितर आत्माएं ज्यादा सक्रिय होती हैं कभी भी धार्मिक व मांगलिक कार्य रात में नहीं करने चाहिए।
पूर्णिमा का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
इस दिन मनुष्य का मन ज्यादा बेचैन व विचलित रहता है जो व्यक्ति दिमागी तौर से कमजोर या मंदबुद्धि है उन पर इसका प्रभाव बहुत अधिक पड़ता है वह इस दौरान ऐसी हरकत करने लगते हैं जो कि काबू करना मुश्किल हो जाती है इस दिन समुद्र में ज्वार भाटा उत्पन्न होता है इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के पानी को अपनी ओर खींचता है हमारा शरीर 72 परसेंट पानी से बना है पूर्णिमा के दौरान हमारे शरीर में उपस्थित पानी की गति व गुण कुछ परिवर्तित हो जाते हैं क्योंकि चंद्र का असर हमारे शरीर में मौजूद पानी पर भी होता है
पूर्णिमा के दौरान मनुष्य अत्यधिक उत्तेजित या भावुक होता है पूर्णिमा के दौरान बेहद सजग बने रहे तो अच्छा है इन चीजों के ज्ञाता लोग कहते हैं कि चौदस, पूर्णिमा, प्रतिपदा को पवित्र बने रहने में ही आपकी भलाई है और समझदारी है मनुष्य का भविष्य भी इसी के अनुसार बनता व बिगड़ता है।इस का प्रभाव इतना प्रबल होता है कि यदि कोई साधक है तो वह उस उर्जा के प्रभाव में आकर साधना ही करता रहता है तथा यदि कोई लेखक है तो वह लिखने का काम नहीं रोक पाता अर्थात कहने का मतलब है कि यह ऊर्जा आप जिस काम को भी करते हैं उसको बढ़ा देती है इस ऊर्जा का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
लेकिन यदि कोई मंदबुद्धि व्यक्ति है तो उसके ऊपर ऐसा प्रभाव पड़ता है कि वह पागलों जैसा बर्ताव करने लग जाता है क्योंकि इसकी ऊर्जा बहुत ही तीव्र होती है जो संभालना मुश्किल हो जाती है इसलिए इस ऊर्जा को थोड़ा सा रिलीज करना भी जरूरी होता है रिलीज करने के लिए आप कोई भी मनोरंजक कार्य कर सकते हैं जिसमें यह अतिरिक्त ऊर्जा निकल जाएगी।
पूर्णिमा को शुभ क्यों माना जाता है?
पूर्णिमा को देवताओं का दिन माना जाता है इस दिन चांद, पृथ्वी व जल को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है इस दिन ध्यान करना बहुत जरूरी है किसी पवित्र जगह पर जाकर आप स्नान भी कर सकते हैं इस दिन आप उपवास रखें तो बहुत ही अच्छा है यह आपकी पाचन प्रणाली को बहुत अच्छा कर देता है हम अपने शरीर पर इन ग्रहों के प्रभाव को टाल नहीं सकते।
पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
- इस दिन आपको तामसिक भोजन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
- इस दिन आपको मांसाहार से बचना चाहिए।
- आपको अपने दिमाग को शांत रखना चाहिए।
- यदि आप उपवास नहीं करते हैं तो आपको ज्यादा भोजन नहीं करना चाहिए।
- पूर्णिमा के दिन आप अपने बालों को भी ना कटवाए तो अच्छा है।
पूर्णिमा पर क्या करना चाहिए?
दिन आपको भगवान विष्णु तथा लक्ष्मी जी की आराधना करनी चाहिए इस दिन आप सूर्य उदय से पहले स्नान करके उपवास रखें और उसको पूरे दिन निभाए इस दिन आप दान भी करें तो उसका फल आपको शुभदायी होता है। इस दिन आपको पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए तथा आपको दीपदान भी करना चाहिए।
पूर्णिमा के दिन तुलसी का पूजन
पूर्णिमा के दिन तुलसी माता का पूजन जरूर करें क्योंकि तुलसी माता को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है आप सबसे पहले गंगाजल से स्नान करके माता की पूजा करें तथा मां लक्ष्मी को हल्दी का तिलक लगाएं तुलसी माता को जल चढ़ाएं तथा उनकी पूजा करें।
पूर्णिमा पर पूजा कैसे करें?
आप सुबह जल्दी उठकर स्नान करें तथा भगवान विष्णु तथा लक्ष्मी जी को याद करें सूर्योदय से यह उपवास शुरू होता है और चंद्र दर्शन के साथ समाप्त होता है। रात को चंद्र देवता के दर्शन करके पूजा को पूरा किया जाता है फिर प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
पूर्णिमा उपवास से लाभ
पूर्णिमा उपवास से एसिड सामग्री को नियंत्रित किया जाता है जो हमारे पेट में बनती है इस उपवास से पाचन तंत्र को साफ किया जाता है दिन का उपवास चपापचय क्रिया को संतुलित करता है इससे मन तथा शरीर बहुत ही शांत हो जाता है साथ ही इस उपवास को करने से मानसिक कष्ट दूर होता है यदि कोई पारिवारिक कलह चल रहे हैं तो वह खत्म हो जाते हैं अशांति दूर हो जाती है किसी के कुंडली में यदि चंद्र दोष है तो वह हट जाता है कोई चंद्र ग्रह से पीड़ित है तो वह भी सही हो जाता है।
पूर्णिमा के दिन किस चीज का दान करना चाहिए?
दिन आप वैसे तो किसी भी चीज का दान कर सकते हैं लेकिन यदि चावल, चीनी, दूध का दान करें तो आपको बहुत ही ज्यादा फल प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
पूर्णिमा के दिन निकलने वाली ऊर्जा को यदि पहचान कर कार्य किया जाए तो आप अपने भविष्य को भी बहुत सुंदर बना सकते हैं क्योंकि यह ऊर्जा बहुत ही पावरफुल होती है इस दिन भगवान विष्णु का जाप करके मां लक्ष्मी को याद करके आप कुछ चीजों का दान करें तथा बिल्कुल सात्विक रहे और जो कार्य आपने पीछे शुरू किए हैं उनका आनंद लें नया कार्य आप पूर्णिमा के दिन शुरु ना करें।
Q.1 पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए
पूर्णिमा के दिन आपको ध्यान जरूर करना चाहिए इस दिन आप उपवास भी रख सकते हैं जो ऊर्जा निकलती है उस उर्जा को आप महसूस कर सकते हैं आप को दान भी करना चाहिए श्री विष्णु भगवान तथा माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिएं।
Q.2 क्या पूर्णिमा के दिन नया काम शुरू करना चाहिए
इस दिन कोई भी नया काम शुरू नहीं करना चाहिए अमावस्या से जो काम शुरू किया गया है उसका सिर्फ आनंद उठाना चाहिए जब भी कोई नया काम शुरू करें अमावस्या का इंतजार करें हमेशा अमावस्या को ही आप नया काम करें।