Jurgen Habermas Shorts Notes And MCQ (2025) || Read Now

Jurgen Habermas,

न हैबरमास (Jurgen Habermas) समकालीन समाजशास्त्र और दर्शनशास्त्र के सबसे प्रभावशाली विचारकों में से एक हैं। वे फ्रैंकफर्ट स्कूल (Frankfurt School) से जुड़े थे और आलोचनात्मक सिद्धांत (Critical Theory) को आगे बढ़ाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही है।
उनकी सबसे प्रसिद्ध अवधारणाएं हैं:

संप्रेषणात्मक क्रिया सिद्धांत (Theory of Communicative Action)

सार्वजनिक क्षेत्र की अवधारणा (Public Sphere)

विवेकपूर्ण आधुनिकता (Deliberative Modernity)

Jurgen Habermas

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जन्म और शिक्षा (Birth and Education)

जन्म: 18 जून 1929, डसेलडोर्फ, जर्मनी

विश्वविद्यालय: बॉन विश्वविद्यालय, गोटिंगन, ज़्यूरिख

विषय: दर्शन, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान


महत्वपूर्ण विचार और सिद्धांत (Major Theories & Ideas)

  1. सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sphere)

हैबरमास ने बताया कि कैसे 18वीं शताब्दी में “बौद्धिक सार्वजनिक क्षेत्र” अस्तित्व में आया जहाँ नागरिक बिना किसी दबाव के सार्वजनिक बहस में हिस्सा ले सकते थे।

🔹 विशेषताएँ:

लोकतंत्र को मजबूत करता है

सत्ता की आलोचना का मंच

मीडिया, पत्रिकाएँ, कॉफी हाउस आदि से संबंधित

यह आज के लोकतंत्र की पारदर्शिता और नागरिक सहभागिता की अवधारणा का आधार है।


  1. संप्रेषणात्मक क्रिया सिद्धांत (Theory of Communicative Action)

यह सिद्धांत बताता है कि कैसे इंसान सहमति (Consensus) के माध्यम से सामाजिक जीवन को संगठित करता है। इसमें भाषा, तर्क, संवाद और विश्वास प्रमुख होते हैं।

🔹 दो प्रमुख “क्रिया” के प्रकार:

Instrumental Action – लक्ष्य आधारित, परिणाम प्राप्त करने वाली

Communicative Action – संवाद आधारित, समझ बनाने वाली

यह सिद्धांत लोकतंत्र, न्याय, और संवाद पर आधारित समाज की नींव रखता है।


  1. विवेकपूर्ण लोकतंत्र (Deliberative Democracy)

हैबरमास के अनुसार, लोकतंत्र को संवाद और पारदर्शिता पर आधारित होना चाहिए, न कि केवल मतदान और सत्ता के प्रयोग पर।

🔹 प्रमुख विचार:

सभी को बोलने का अधिकार

सत्ता का तर्कसंगत विश्लेषण

निर्णय प्रक्रिया में सभी की भागीदारी


  1. आधुनिकता की आलोचना और पुनराविष्कार (Modernity Revisited)

हैबरमास ने पोस्टमॉडर्निज्म की आलोचना की और कहा कि आधुनिकता की परियोजना अभी पूरी नहीं हुई है। उन्होंने आधुनिकता को आलोचनात्मक, संवादात्मक और तर्कसंगत रूप में पुनर्परिभाषित किया।


प्रमुख पुस्तकें (Major Books)

पुस्तक का नाम वर्ष

The Structural Transformation of the Public Sphere 1962
Theory of Communicative Action (Vol 1 & 2) 1981
Between Facts and Norms 1992
The Philosophical Discourse of Modernity 1985
Knowledge and Human Interests 1968


योगदान और प्रभाव (Contributions & Influence)

संवाद पर आधारित लोकतंत्र को बढ़ावा

मीडिया और जनमत पर महत्वपूर्ण शोध

समकालीन राजनीति, संस्कृति और कानून पर गहरा प्रभाव

फ्रैंकफर्ट स्कूल की आलोचनात्मक परंपरा को आधुनिक संदर्भ में आगे बढ़ाया


संक्षिप्त पुनरावृत्ति (Quick Revision)

  1. हैबरमास जर्मन समाजशास्त्री और दार्शनिक हैं।
  2. उन्होंने “Public Sphere” और “Communicative Action” जैसे विचार प्रस्तुत किए।
  3. वे लोकतंत्र में संवाद और सहमति को महत्वपूर्ण मानते हैं।
  4. उन्होंने आधुनिकता को नकारा नहीं, बल्कि पुनर्परिभाषित किया।
  5. वे फ्रैंकफर्ट स्कूल के दूसरे चरण से जुड़े हैं।


🔟 10 प्रमुख बिंदु (Key Points)

  1. Jurgen Habermas का जन्म जर्मनी में हुआ।
  2. वे फ्रैंकफर्ट स्कूल के दार्शनिक और समाजशास्त्री हैं।
  3. ‘Public Sphere’ का सिद्धांत उनके द्वारा प्रतिपादित है।
  4. ‘Communicative Action’ संवाद पर आधारित सामाजिक सिद्धांत है।
  5. वे लोकतंत्र में संप्रेषण और तर्क की आवश्यकता बताते हैं।
  6. उन्होंने आधुनिकता को नकारा नहीं, बल्कि पुनः परिभाषित किया।
  7. उनकी प्रमुख पुस्तकें: Theory of Communicative Action, Public Sphere।
  8. वे आलोचनात्मक विचारधारा को नया जीवन देते हैं।
  9. उनका कार्य लोकतंत्र, मीडिया और कानून पर आधारित है।
  10. वे समकालीन समाज की संवादात्मक संरचना को उजागर करते हैं।

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❓FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. हैबरमास किस विचारधारा से जुड़े थे?
➡️ वे फ्रैंकफर्ट स्कूल से जुड़े थे और आलोचनात्मक सिद्धांत के समर्थक थे।

Q2. ‘Theory of Communicative Action’ का सार क्या है?
➡️ संवाद और सहमति पर आधारित सामाजिक क्रिया को समझाना।

Q3. ‘Public Sphere’ का क्या मतलब है?
➡️ ऐसा क्षेत्र जहाँ नागरिक स्वतंत्र रूप से विचार-विमर्श कर सकें।

Q4. क्या हैबरमास पोस्टमॉडर्न विचारों से सहमत थे?
➡️ नहीं, उन्होंने पोस्टमॉडर्निज़्म की आलोचना की।

Q5. उनकी विचारधारा लोकतंत्र के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
➡️ क्योंकि वे नागरिकों की भागीदारी, पारदर्शिता और संवाद पर जोर देते हैं।


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