Irawati Karve Short Notes And MCQ || Read Now

Irawati Karve || इरावती कर्वे (1905 – 1970)

Irawati Karve (1905 – 1970) भारत की पहली महिला समाजशास्त्रियों और मानवशास्त्रियों (Anthropologists) में गिनी जाती हैं। वह एक ऐसी विदुषी थीं जिन्होंने भारतीय समाज, संस्कृति, जाति-व्यवस्था, परिवार और साहित्य पर गहन अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय समाज की जड़ों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने का प्रयास किया और पश्चिमी समाजशास्त्र की अवधारणाओं को भारतीय संदर्भ में प्रस्तुत किया।

उनकी खास पहचान “Kinship studies” (संबंध अध्ययन) और “Indian society and culture” पर किए गए शोध कार्यों से है। इरावती कर्वे ने साहित्य, समाजशास्त्र और मानवशास्त्र—तीनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

Irawati Karve

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जीवन परिचय

जन्म: 15 दिसंबर 1905, म्यानमार (तत्कालीन बर्मा)

शिक्षा: पुणे विश्वविद्यालय और जर्मनी की बर्लिन यूनिवर्सिटी से मानवशास्त्र (Anthropology) में अध्ययन

विशेषता: भारतीय परिवार, जाति, संस्कृति और नृविज्ञान पर शोध

निधन: 1970


प्रमुख कृतियाँ (Important Works of Irawati Karve)

  1. Kinship Organization in India (1953) – भारतीय समाज में रिश्तेदारी की संरचना पर गहन अध्ययन।
  2. Hindu Society: An Interpretation (1961) – हिंदू समाज की संरचना, संस्कृति और परंपराओं का समाजशास्त्रीय विश्लेषण।
  3. Yuganta: The End of an Epoch (1967) – महाभारत के पात्रों पर समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से लिखी गई रचना।
  4. Maharashtra: Land and People (1968) – महाराष्ट्र के समाज और संस्कृति का अध्ययन।
  5. Paripurti (मराठी साहित्य) – स्त्री जीवन और समाज से जुड़ी रचना।

समाजशास्त्रीय योगदान

  1. जाति व्यवस्था (Caste System)

इरावती कर्वे ने जाति को केवल सामाजिक विभाजन का साधन नहीं माना बल्कि इसे सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा से जुड़ा बताया। उन्होंने जाति की कार्यात्मक (Functional) भूमिका समझाई – जैसे विवाह संबंध, पेशागत कार्य और सामाजिक पहचान।

  1. परिवार (Family)

भारतीय परिवार को उन्होंने संयुक्त परिवार (Joint Family) और न्यूक्लियर परिवार (Nuclear Family) की दृष्टि से समझाया।

उनके अनुसार, भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक संरचना (Patriarchal structure) प्रमुख है।

परिवार केवल जैविक इकाई नहीं, बल्कि सामाजिक नियंत्रण और मूल्यों का केंद्र है।

  1. संबंध व्यवस्था (Kinship System)

इरावती कर्वे का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रिश्तेदारी व्यवस्था (Kinship Organization in India) पर है।

उन्होंने यह दिखाया कि उत्तर भारत और दक्षिण भारत की रिश्तेदारी प्रणाली में बड़ा अंतर है।

उत्तर भारत: पितृवंशीय (Patrilineal) रिश्तेदारी

दक्षिण भारत: मातृवंशीय (Matrilineal) तत्व भी मौजूद

इस अध्ययन ने भारतीय समाज को क्षेत्रीय दृष्टि से समझने में मदद की।

  1. संस्कृति और धर्म

उन्होंने भारतीय संस्कृति को परंपरा और आधुनिकता के मिश्रण के रूप में देखा।

धर्म और संस्कृति को समाज की एकीकृत शक्ति बताया।

महाभारत और अन्य शास्त्रों का उन्होंने समाजशास्त्रीय व्याख्या किया।

  1. साहित्य और समाज

इरावती कर्वे केवल समाजशास्त्री ही नहीं, बल्कि साहित्यकार भी थीं।

“युगांत” (Yuganta) में उन्होंने महाभारत के पात्रों को केवल पौराणिक चरित्र नहीं, बल्कि मानवीय गुण-दोष वाले व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत किया।


विचार और सिद्धांत

  1. भारतीय समाज बहु-आयामी है – इसमें क्षेत्रीय, भाषाई, धार्मिक और जातीय विविधता है।
  2. परिवार और रिश्तेदारी भारतीय समाज का मूल आधार है।
  3. जाति व्यवस्था स्थिर नहीं है, बल्कि यह समय और सामाजिक बदलाव के अनुसार परिवर्तित होती रहती है।
  4. धर्म और संस्कृति सामाजिक एकता का साधन हैं।
  5. भारतीय समाजशास्त्र को समझने के लिए हमें केवल पश्चिमी सिद्धांतों पर निर्भर नहीं होना चाहिए, बल्कि भारतीय परिप्रेक्ष्य को प्राथमिकता देनी चाहिए।

त्वरित पुनरावृत्ति (Quick Revision Points)

  1. इरावती कर्वे – भारत की पहली महिला समाजशास्त्री।
  2. मुख्य अध्ययन क्षेत्र – परिवार, जाति, रिश्तेदारी, संस्कृति।
  3. महत्वपूर्ण पुस्तक – “Kinship Organization in India” (1953)।
  4. “Hindu Society: An Interpretation” – हिंदू समाज की संरचना पर।
  5. “Yuganta” – महाभारत पर समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण।
  6. उत्तर और दक्षिण भारत की रिश्तेदारी प्रणाली में अंतर बताया।
  7. परिवार को सामाजिक नियंत्रण और मूल्यों का केंद्र माना।
  8. जाति व्यवस्था को सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा से जुड़ा बताया।
  9. धर्म और संस्कृति को एकीकृत शक्ति माना।
  10. साहित्य और समाज दोनों क्षेत्रों में योगदान।

10 मुख्य बिंदु (Key Points)

  1. जन्म: 1905, बर्मा
  2. शिक्षा: पुणे और जर्मनी
  3. विषय: समाजशास्त्र व मानवशास्त्र
  4. मुख्य पुस्तक: Kinship Organization in India
  5. हिंदू समाज का समाजशास्त्रीय विश्लेषण किया
  6. परिवार व रिश्तेदारी पर गहन अध्ययन
  7. जाति व्यवस्था की कार्यात्मक भूमिका बताई
  8. धर्म को सामाजिक एकता का साधन कहा
  9. “युगांत” में महाभारत का समाजशास्त्रीय अध्ययन
  10. निधन: 1970

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Iravati Karve – Sociology MCQ (Hindi)

Iravati Karve – MCQ (Hindi)

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1) इरावती कर्वे का प्रमुख अध्ययन क्षेत्र क्या था?
2) “Kinship Organization in India” (1953) का मुख्य विषय है—
3) कर्वे ने उत्तर व दक्षिण भारत की रिश्तेदारी व्यवस्था में किस अंतर पर बल दिया?
4) “Hindu Society: An Interpretation” (1961) में कर्वे ने किस पर बल दिया?
5) “Yuganta: The End of an Epoch” (1967) किसका समाजशास्त्रीय पुनर्पाठ है?
6) कर्वे के अनुसार परिवार केवल जैविक इकाई नहीं, बल्कि—
7) कर्वे की दृष्टि में जाति (Caste) का एक कार्यात्मक पक्ष है, जैसे—
8) इरावती कर्वे का जन्म-वर्ष और निधन-वर्ष क्रमशः—
9) “Hindu Society: An Interpretation” में कर्वे ने हिंदू समाज को किस रूप में देखा?
10) कर्वे की कार्यप्रणाली (Method) में प्रमुख क्या था?

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