Indian Thinkers in Sociology Key Points || Read Now


Indian Thinkers in Sociology –भारतीय समाजशास्त्र का विकास और समकालीन महत्व


Indian Thinkers in Sociology समाजशास्त्र (Sociology) एक ऐसा विषय है जो समाज की संरचना, प्रक्रियाओं और समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। पश्चिम में यह विषय औद्योगिक क्रांति और फ्रांसीसी क्रांति के बाद विकसित हुआ। भारत में समाजशास्त्र का उदय अपेक्षाकृत देर से हुआ, परन्तु इसकी जड़ें गहरी और मजबूत हैं। भारतीय समाज विविधता, बहुलता और परंपराओं से भरा हुआ है, इसलिए भारतीय समाजशास्त्र ने एक विशिष्ट पहचान बनाई है।

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Indian Thinkers in Sociology

भारतीय समाजशास्त्र का प्रारंभिक विकास

भारत में समाजशास्त्र की औपचारिक पढ़ाई 1919 में बॉम्बे विश्वविद्यालय में शुरू हुई। इसका श्रेय पैट्रिक गेड्स और बाद में जी.एस. घुर्ये को दिया जाता है।

  • जी.एस. घुर्ये (G.S. Ghurye) को “भारतीय समाजशास्त्र का पिता” कहा जाता है।
  • उन्होंने जाति, जनजाति, परिवार और धर्म पर गहन शोध किए।
  • उनका दृष्टिकोण मुख्य रूप से सांस्कृतिक-ऐतिहासिक था।

प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री और उनका योगदान

1. जी.एस. घुर्ये

  • जाति व्यवस्था का गहन अध्ययन।
  • उन्होंने जाति को एक सामाजिक संस्था के रूप में देखा।
  • पुस्तक: Caste and Race in India (1932)

2. एम.एन. श्रीनिवास

  • “संस्‍कृतिकरण (Sanskritization)” और “पश्चिमीकरण (Westernization)” की अवधारणा दी।
  • ग्रामीण भारत और जाति व्यवस्था पर उनका अध्ययन आज भी प्रासंगिक है।

3. डी.पी. मुखर्जी

  • भारतीय समाज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपराओं पर बल दिया।
  • उनका मानना था कि भारतीय समाजशास्त्र को भारतीय अनुभवों पर आधारित होना चाहिए।

4. ए.आर. देसाई

  • मार्क्सवादी दृष्टिकोण से समाज का अध्ययन किया।
  • Social Background of Indian Nationalism (1948) उनकी प्रसिद्ध कृति है।
  • उन्होंने राष्ट्रवाद, वर्ग संघर्ष और किसान आंदोलनों को समाजशास्त्र से जोड़ा।

5. इरावती कर्वे

  • परिवार, विवाह और स्त्री की स्थिति पर महत्वपूर्ण कार्य।
  • पुस्तक: Kinship Organization in India

6. राधाकमल मुखर्जी

  • पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर कार्य।
  • समाजशास्त्र को मानवतावादी दृष्टि से देखा।

भारतीय समाजशास्त्र की विशेषताएँ

  1. बहुलता का अध्ययन – जाति, धर्म, भाषा, संस्कृति आदि की विविधता।
  2. ग्रामीण समाज पर फोकस – क्योंकि अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण थी।
  3. सामाजिक समस्याएँ – गरीबी, अशिक्षा, अस्पृश्यता, असमानता।
  4. सांस्कृतिक दृष्टिकोण – परंपरा और आधुनिकता का संगम।
  5. भारतीय अनुभवों पर आधारित सिद्धांत – जैसे संस्कृतिकरण, पश्चिमीकरण।

समकालीन भारतीय समाजशास्त्र

आज भारतीय समाजशास्त्र केवल जाति या ग्रामीण समाज तक सीमित नहीं है। अब यह कई नए क्षेत्रों तक फैल गया है –

  • शहरीकरण और औद्योगिकीकरण
  • पर्यावरणीय समाजशास्त्र
  • लिंग (Gender) अध्ययन
  • वैश्वीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी
  • सामाजिक आंदोलन और दलित अध्ययन

UGC NET Sociology में महत्त्व

UGC NET Sociology परीक्षा में भारतीय समाजशास्त्र से कई प्रश्न पूछे जाते हैं।

  • जाति और वर्ग पर आधारित सिद्धांत
  • प्रमुख भारतीय समाजशास्त्रियों का योगदान
  • भारतीय समाज की विशेषताएँ
  • समकालीन मुद्दे (ग्लोबलाइजेशन, जेंडर, दलित मूवमेंट)

इसलिए विद्यार्थियों को भारतीय समाजशास्त्र की ऐतिहासिक जड़ों से लेकर आधुनिक मुद्दों तक की तैयारी करनी चाहिए।

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निष्कर्ष

भारतीय समाजशास्त्र का विकास भारतीय समाज की जटिलताओं और विविधताओं को समझे बिना संभव नहीं था। यह विषय केवल अकादमिक अध्ययन तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज की वास्तविक समस्याओं को हल करने का एक साधन भी है। UGC NET जैसी परीक्षाओं में इसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें भारतीय समाज को गहराई से समझने की क्षमता देता है।

भारतीय समाजशास्त्र — MCQ Quiz (Hindi)

भारतीय समाजशास्त्र — MCQ अभ्यास (Hindi)

नीचे दिए गए प्रश्नों पर क्लिक करें। सही विकल्प हरा दिखेगा, गलत चुनने पर वह लाल और सही विकल्प हरा दिखेगा — साथ में विस्तृत व्याख्या भी मिलेगी।

1) भारत में आधुनिक समाजशास्त्र की औपचारिक पढ़ाई किस विश्वविद्यालय में सबसे पहले शुरू हुई मानी जाती है?
Q1
2) जी.एस. घुर्ये (G.S. Ghurye) को भारतीय समाजशास्त्र में किस कार्य के लिए विशेष रूप से जाना जाता है?
Q2
3) एम.एन. श्रीनिवास ने किस प्रमुख अवधारणा का परिचय दिया जो भारतीय जाति परिवर्तनों को समझने में उपयोगी है?
Q3
4) ए.आर. देसाई (A.R. Desai) का प्रमुख दृष्टिकोण किस पर आधारित था?
Q4
5) इरावती कर्वे (Iravati Karve) का प्रमुख योगदान किस क्षेत्र में माना जाता है?
Q5
6) भारतीय समाजशास्त्र की समकालीन दिशा में कौन-सा विषय पहले की तुलना में अधिक प्रासंगिक हो गया है?
Q6
7) ‘Dominant Caste’ (प्रभुत्वशाली जाति) की धारणा किस विद्वान से जुड़ी मानी जाती है?
Q7
8) भारतीय समाजशास्त्र में ‘दलित अध्ययन’ और ‘सामाजिक आंदोलनों’ का उदय किन कारणों से हुआ?
Q8
9) भारतीय समाजशास्त्र को ‘व्यावहारिक विज्ञान’ (Applied Science) बनाने का प्रस्ताव किसने जोरदार तरीके से दिया?
Q9
10) UGC NET Sociology की तैयारी के लिए निम्न में से कौन-सा पाठ्यक्रम/टॉपिक विशेष रूप से ज़रूरी माना जाता है?
Q10

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